The Greatest Guide To chudail ki kahani i

सारा कहती है, "हाँ लेकिन आजकल मैं थोड़ी कम हूँ".

सीरीज़ की बात करें तो एक डिटेक्टिव एजेंसी से शुरु हुई चुड़ैल्स की कहानी आपको एक गहरे काले सफ़र पर ले जाती है जहाँ बलात्कार, ड्रग्स, क़त्ल,फ़रेब, तस्करी सब कुछ है - एक ऐसी दुनिया जिसका सामना करने की इन चुड़ैलों ने सोची तो नहीं थी लेकिन जब सामना हुआ तो प्यार, तकरार,गोलियाँ, गालियाँ सब तरह के हथकंड़ों से सामना किया.

लड़की बोली, ठीक है मां और उसकी सौतेली मां वहां से चली गई। तब लड़की थोड़ा बहुत खाना खाकर उठ गई और सौतेली मां के पास गई और बोली, मां बताइए कि क्या लाना था बाहर से। 

दुर्घटना के कुछ समय बाद राहुल को नौकरी नहीं मिल रही थी तो उसने पिज्जा डिलीवरी का काम शुरू कर दिया। 

मैसी कहते हैं, "भूमिका के लिहाज़ से पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं की ज़्यादा प्रगति हुई है."

जो महिलाएं इस मामले में ज़्यादा लचीला रुख़ रखती हैं, वो भी रास्ता दिखाने में मददगार हो सकती हैं. ज़्यादा महिलाओं के अपने रुझान को लेकर बात करने के मायने ये हैं कि अब ज़्यादा लोग तय घेरों से बाहर निकलकर विकल्पों के बारे में बात कर रहे हैं.

इसलिए इन कहानियों की चुड़ैल ज्यादा डरावनी नहीं होती. मैं आखिर में सच्चाई की जीत करवाता हूं ताकि बच्चे अच्छाई या बुराई का फर्क कर सकें.’

पर इन महिलाओं को या इनसे जुड़े मुद्दों को सेंसर करके दिखाना या उन पर पर्दा डालना ग़लत परंपरा है.

इसके विपरीत पहेली, भूतनाथ अंकल, चमत्कार जैसी बॉलीवुड फिल्मों में पुरुष भूतों को एक खास मकसद यानि की बुराई पर सच्चाई की जीत का चेहरा बनाया गया है.

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हालांकि, इन बदलावों ने महिलाओं और पुरुषों पर अलग-अलग तरीके से असर डाला है.

उन्होंने कहा, "यह भारत की औरतों की कहानी नहीं है. लंदन, स्वीडन और दुनिया में जिस भी जगह फिल्म दिखाई गई, वहां बहुत औरतों ने आकर कहा कि ऐसा मेरे पड़ोस में हुआ था या मेरे रिश्तेदार के साथ हुआ था."

नमस्कार दोस्तों, आज के इस ब्लॉगपोस्ट में हम बात करेंगे मुंशी प्रेमचंद...

तीसरी चुड़ैल ज़ुबैदा (मेहर बानो) हैं जिसे मोहम्मद अली बनना है और जो कहती है कि "जब मैंने हाथों में ग्लव्स पहने होते हैं और मैं मुक्के पे मुक्का मार रही होती हूँ तो ऐसा लगता है जैसे मेरी जान में जान आ गई हो."

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